Connect with us

घेंजा का त्योहार: एक सांस्कृतिक धरोहर…

उत्तराखंड

घेंजा का त्योहार: एक सांस्कृतिक धरोहर…

घेंजा का त्योहार, जो पौष महीने के अंत में मनाया जाता है, उत्तराखंड की लोकसंस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्योहार मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जाता है, लेकिन समय के साथ, शहरी जीवन की व्यस्तता में यह त्योहार धीरे-धीरे भुलाया जाने लगा है। कितने लोगों को इस अद्भुत त्योहार के बारे में ज्ञात है? यह प्रश्न आज के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण है।

घेंजा की तैयारी और परंपरा
घेंजा का त्योहार मोटे अनाज जैसे कौणी, साठी, चावल और मक्का के मिश्रण से तैयार किया जाता है। इसे विशेष विधि से भाप में पकाया जाता है, जिसके लिए पहले मिश्रण को पीस कर हल्का मोटा आटा बनाया जाता है। मीठे घेंजों के लिए गुड़ का पानी उपयोग किया जाता है, जबकि नमकीन घेंजे बनाने के लिए मसालेदार पेस्ट बनाया जाता है। इस पारंपरिक पकवान को नींबू के पत्तों में लपेटकर भाप में पकाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड में आज बारिश का येलो अलर्ट, कब पहुंचेगा मानसून?

सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

*घेंजा का त्योहार केवल एक खाद्य पदार्थ से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। यह त्योहार ग्रामीण समुदायों में एकजुटता और प्रेम को दर्शाता है। परिवार और मित्रगण एकत्रित होकर इस विशेष दिन को मनाते हैं, जिसमें पारंपरिक गीत और नृत्य शामिल होते हैं। इस प्रकार, यह त्योहार लोक कलाओं और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का एक अवसर प्रदान करता है।*

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड में बढ़ रहा तीर्थाटन का दायरा चारों धाम के साथ ही अन्य मंदिरों में भी पहुंच रहे हैं श्रद्धालु

शहरीकरण और घेंजा का विलुप्ति

जैसे-जैसे समाज आधुनिकता की ओर बढ़ा है, घेंजा जैसे त्योहारों का महत्व कम होता जा रहा है। शहरी जीवन की तीव्र गति ने लोगों को अपनी जड़ों से दूर कर दिया है। इसीलिए, कई लोग इस पारंपरिक त्योहार से अज्ञात हैं। हमें यह विचार करना चाहिए कि क्या हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को इस तरह भुला सकते हैं? क्या हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित परंपराएँ केवल एक-दूसरे को याद दिलाने के लिए हैं?

यह भी पढ़ें 👉  अब एसडीएम व तहसीलदार विकासनगर जनता दर्शन में रहेंगे उपस्थित डीएम ने दिए निर्देश

घेंजा का त्योहार न केवल एक पारंपरिक पकवान है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न हिस्सा है। यह आवश्यक है कि हम इस त्योहार को सिर्फ ग्रामीणों तक सीमित न रखें, बल्कि इसे समस्त समाज में फैलाने का प्रयास करें। इसलिए, सभी प्रेमियों और संस्कारवानों को इस त्योहार को मनाने तथा आगे बढ़ाने के लिए बधाई। हमारी संस्कृति को संजोना और उसे आगामी पीढ़ियों को सौंपना हमारी जिम्मेदारी बनती है। इस प्रकार, हमें घेंजा के इस अद्भुत त्योहार को भूलने नहीं देना चाहिए और इसे अपने जीवन में पुनः जीवित करना चाहिए।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखंड

उत्तराखंड

उत्तराखंड

ट्रेंडिंग खबरें

To Top