उत्तराखंड
Tiger Day: आज 12वां अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस, जानिए रोचक जानकारियां…
वैश्विक बाघ दिवस (Global Tiger Day) या अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) हर साल 29 जुलाई को जंगली बिल्लियों की घटती आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके संरक्षण के प्रयासों के लिए मनाया जाता है। इसका लक्ष्य बाघों के प्राकृतिक आवासों (natural habitats) की रक्षा के लिए एक वैश्विक प्रणाली को बढ़ावा देना और बाघ संरक्षण के मुद्दों के लिए जन जागरूकता (public awareness) और समर्थन बढ़ाना है। इस वर्ष 12वां अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) है।
WWF विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले 100 सालों में दुनिया-भर में लगभग 97 फीसदी जंगली बाघों आबादी घट गई है। एक सदी पहले लगभग 100,000 बाघों की तुलना में वर्तमान में केवल 3,000 बाघ जीवित हैं। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF), इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफेयर (IFAW) और स्मिथसोनियन कंजर्वेशन बायोलॉजी इंस्टीट्यूट (SCBI) सहित कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भी जंगली बाघों के संरक्षण में लगे हुए हैं। बाघ अलग-अलग रंगों के होते हैं जैसे सफेद बाघ, काली धारियों वाला सफेद बाघ, काली धारियों वाला भूरा बाघ और गोल्डन टाइगर और उन्हें चलते हुए देखना एक अद्भुत नजारा हो सकता है। अब तक बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर, जावन टाइगर और टाइगर हाइब्रिड ऐसी प्रजातियां हैं जो विलुप्त हो चुकी हैं।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास
वैश्विक बाघ दिवस (Global Tiger Day) 2010 में रूस (Russia) में 13 टाइगर रेंज देशों द्वारा सेंट पीटर्सबर्ग (Saint Petersburg) घोषणा पर हस्ताक्षर के दौरान अस्तित्व में आया था। इन टाइगर रेंज देशों की सरकारों ने 2022 तक प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा और बाघों की संख्या को दोगुना करने के लिए संरक्षण को प्रोत्साहित करने का संकल्प लिया था। अवैध शिकार और बाघ के शरीर के अंगों जैसे हड्डी (bone), त्वचा (skin) का अवैध व्यापार जंगली बाघों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। बाघ के शरीर के अंगों की मांग ने जंगली बिल्लियों के अवैध शिकार और तस्करी को बढ़ा दिया है।
लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
👉 उत्तराखंड टुडे के वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ें
👉 उत्तराखंड टुडे के फेसबुक पेज़ को लाइक करें