उत्तराखंड
राज्यपाल ने नए नकल विरोधी कानून को दी मंजूरी, प्रदेश में हुआ लागू…
उत्तराखंड में युवाओं के प्रदर्शन के बीच राज्यपाल ने नए नकल विरोधी कानून को मंजूरी दे दी है। जिसके बाद प्रदेश में लागू नकल रोधी कानून हुआ। राज्यपाल गुरमीत सिंह ने सरकार के अध्यादेश को मंजूरी दी। बेरोजगार युवाओं के आंदोलन की प्रमुख मांग थी। बीते रोज सरकार ने राजभवन को प्रस्ताव भेजा था । जिसे राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है।
- यदि कोई व्यक्ति, प्रिटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान इत्यादि अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए आजीवन कारावास की सजा तथा 10 करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो आजीवन कारावास तक की सजा एवं 10 करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि उक्त परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में पुनः दोषी पाया जाता है तो न्यूनतम दस वर्ष के कारावास तथा न्यूनतम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच वर्ष के लिए डिबार करने तथा दोष सिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस वर्ष के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो क्रमशः पांच से दस वर्ष के लिए तथा आजीवन समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है।
बताया जा रहा है कि अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित सम्पति की कुर्की की जायेगी। इस अधिनियम के अन्तर्गत अपराध संज्ञेय, गैर जमानती एवं अशमनीय होगा। इस कानून को अब राज्यपाल की मंजूरी के बाद प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा। ये कानून नकल के लिए देश का सबसे सख्त कानून बताया जा रहा है।
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