Connect with us

धर्म: रामनाम का सहारा, पढिये मंगल विशेषांक, कटेंगे सब दुःख…

उत्तराखंड

धर्म: रामनाम का सहारा, पढिये मंगल विशेषांक, कटेंगे सब दुःख…

ये उस समय की बात है जब लंका पर चढ़ाई करने के लिए पूरी वानर सेना सेतु निर्माण के कार्य में लगी थी सभी वानर दूर-दूर से शिलाएँ लेकर आ रहे थे। नल-नील को मिला श्राप वरदान साबित हो रहा था। वे प्रभु श्रीराम का नाम ले-लेकर सभी शिलाओं को सागर में ड़ाल रहे थे। प्रभु श्रीराम के नाम से ड़ाली गयी सभी शिलायें सागर जल में तैर रही थीं। शीध्रता से सेतु निर्माण का कार्य चल रहा था। लक्ष्मण, विभिषण तथा सुग्रीव सेतु निर्माण कार्य का निरिक्षण कर रहे थे।

यह भी पढ़ें 👉  मुलाक़ात: राज्य सभा सांसद भट्ट ने जाना पत्रकार योगेश डिमरी का हाल-चाल…

श्री रामचन्द्र जी भी समीप ही एक शिला पर बैठे इस कार्य को देख रहे थे। उनके मन में विचार आया कि सभी सेतु निर्माण में व्यस्त हैं किन्तु मैं यहाँ खाली बैठ कर देखता रहूँ यह तो उचित नहीं है। वे चुपके से उठे और सबसे नजरें बचा कर एक शिला को उठाकर उन्होंने भी सागर जल में छोड़ दिया। किन्तु यह क्या जहाँ सभी शिलायें सागर जल में तैर रही थी, प्रभु श्रीराम द्वारा छोड़ी गई शिला तुरन्त जल में डूब गई।

यह भी पढ़ें 👉  टीचर डे: शिक्षक दिवस पर दिखा प्रतिद्वन्द, पढ़िए कंहा…

यह देख श्रीरामजी को बहुत आत्मग्लानि हुई की उनकी छोड़ी शिला क्यों जल में डूब गयी। वे चुपचाप आकर वापस शिला पर बैठ गये। शिला के डूब जाने से वे बहुत उदास थे। हनुमानजी उन्हें उदास देख उनके पास आये तथा उदासी का कारण पूछा। तब श्रीरामजी ने पूरी बात उन्हें बताई।

यह भी पढ़ें 👉  अच्छी खबर: स्थानीय लोगों को केदारनाथ मे हेली सेवा फ्री…

श्रीरामजी की पूरी व्यथा सुनने के बाद हनुमानजी ने कहा- “प्रभु! जिन्हें श्रीराम का नाम मिल जाये वे इस सागर में तो क्या भवसागर में भी तैर जायेंगे, किन्तु जिसे श्रीराम ही छोड़ दें, वे तो भवसागर क्या इस सागर में भी एक-पल नहीं तैर सकते।” हनुमानजी के मुख से ये वचन सुना श्रीरामजी की आँखों में आँसू छलक आये, उन्होंने भावविभोर हो हनुमानजी को हृदय से लगा लिया।

Latest News -
Continue Reading
Advertisement

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखंड

उत्तराखंड

उत्तराखंड

ट्रेंडिंग खबरें

To Top