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उत्तराखंड विधानसभा से बर्खास्त 228 कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन, मंत्री नैथानी ने दिया समर्थन…

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उत्तराखंड विधानसभा से बर्खास्त 228 कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन, मंत्री नैथानी ने दिया समर्थन…

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा से बर्खास्त 228 कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन विधानसभा भवन के बाहर पांचवें दिन भी जारी रहा। इस दौरान पूर्व में कैबिनेट मंत्री रहे मंत्री प्रसाद नैथानी ने बर्खास्त कार्मिकों के अनशन का समर्थन किया। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगाया कि वह एक ही संस्थान में दोहरा मापदंड अपना रही हैं, बर्खास्त कार्मिकों के साथ इस अन्याय को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

बर्खास्त कार्मिकों ने विधानसभा अध्यक्ष के सामने धरने के पांचवें दिन भी उनसे न्याय की गुहार लगाई। धरने में मौजूद रक्षकों एवं कार्मिकों ने नौकरी के दौरान पुलिस विभाग से लिए गए प्रशिक्षण सर्टिफिकेट एवं कोरोनो काल के दौरान मिले प्रशस्ति पत्र को साथ लेकर अपने रोष को व्यक्त किया। इस बीच कार्मिकों ने विधानसभा से रिस्पना पुल तक जलूस निकालकर अपनी आवाज को बुलंद किया। बर्खास्त कार्मिकों ने विधानसभा अध्यक्ष के यमुना कॉलोनी आवास के घेराव की रणनीति बनाई थी, जिसे प्रशासन द्वारा मंजूरी नहीं दी गई।

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इस अवसर पर मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि जब से राज्य का गठन हुआ है विधानसभा में जरूरत के अनुसार ही नियुक्तियां की गई है। उन्होंने स्पीकर पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा दोहरे मापदंड को अपनाया गया है जो कि अन्याय पूर्ण है जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वह अपने विवेक से काम करें।

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मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि आयोग में भर्ती घोटाले को छुपाने के लिए विधानसभा के बर्खास्त कार्मिकों को बलि का बकरा बनाया गया है| यदि सरकार की मंशा साफ है तो यूकेपीएससी भर्ती घोटाले में अभी तक क्या कार्रवाई की गई इसकी जानकारी सरकार को देने के लिए कहा।

कर्मचारियों का कहना है कि जब तक समस्त कर्मचारियों के साथ न्याय नहीं हो जाता तब तक अनिश्चितकाल धरने पर रहेंगे इस संघर्ष में बर्खास्त कार्मिकों के परिजन भी साथ चल रहे हैं, उत्तराखंड क्रांति दल पहले दिन से ही धरने का समर्थन कर रहा है| दरअसल, इन तमाम बर्खास्त कर्मियों का कहना है कि जब कोटिया कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक 2001 से 2021 तक सभी 396 नियुक्तियों को अवैध और अनियमित माना गया है तो फिर 2016 के बाद हुई 228 नियुक्तियां ही सिर्फ़ क्यों अवैध मानी गई हैं।

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इस दौरान कौशिक भैसोड़ा, भगवती सानी, धर्मेंद्र सिंह कार्की, अरविंद सिंह भंडारी, राजकिशोर, हेमंत जोशी, रविंद्र सिंह रावत, ओम प्रकाश, राजीव शाह, कपिल धोनी, शिवराज सिंह धानक, मनाली शर्मा, दया नगरकोटी, मोनिका सेमवाल, हेमलता जोशी, बबीता तिवारी, मीनाक्षी, रिशु सूर्या, दीपक सिंह, गोपाल नेगी, राहुल कुमार, केदार सिंह, अमित मंमगाई, भूपेंद्र प्रसाद, नंदू भट्ट सहित अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।

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