उत्तराखंड
एक और सियासी पारी: शत्रुघ्न सिन्हा को ममता ने उतारा चुनाव मैदान में, टीएमसी की टिकट पर इस सीट से ठोकेंगे ताल
पिछले काफी समय से सक्रिय राजनीति से दूर चल रहे भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री और बॉलीवुड के दिग्गज फिल्म अभिनेता शत्रुघन सिन्हा की फिर से राजनीति हसरतें जवां हो गई । पहले भाजपा फिर कांग्रेस और अब एक और नई राजनीतिक दल के साथ अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा अपनी सियासी पारी शुरू करने जा रहे
पिछले काफी समय से सक्रिय राजनीति से दूर चल रहे भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री और बॉलीवुड के दिग्गज फिल्म अभिनेता शत्रुघन सिन्हा की फिर से राजनीति हसरतें जवां हो गई । पहले भाजपा फिर कांग्रेस और अब एक और नई राजनीतिक दल के साथ अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा अपनी सियासी पारी शुरू करने जा रहे हैं। बता दें कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शत्रुघ्न सिन्हा को आसनसोल लोकसभा उपचुनाव से टीएमसी का उम्मीदवार बनाया है। शत्रुघ्न कुछ सालों से राजनीति में सक्रिय रूप से दिखाई नहीं दे रहे हैं। साल 2020 में उन्होंने विधानसभा चुनाव पटना से अपने बेटे को कांग्रेस के टिकट पर लड़ाया था।
लेकिन वह हार गए थे। उसके बाद बिहारी बाबू कांग्रेस से भी दूरी बनाए हुए थे। वहीं उन्होंने पिछले साल ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी का दामन थाम लिया था। अब ममता ने शत्रुघ्न सिन्हा को टीएमसी की ओर से आसनसोल में हो रहे लोकसभा के उपचुनाव में टिकट दिया है। बता दें कि कुछ महीनों पहले मोदी सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिंगर बाबुल सुप्रियो ने भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब बाबुल सुप्रियो को भी बंगाल के बालीगंज विधानसभा उपचुनाव में टिकट देने की घोषणा की है। बता दें कि बंगाल में एक लोकसभा और चार विधानसभा सीटों पर 12 अप्रैल को उपचुनाव होना है। इसमें बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट भी शामिल है, जो बाबुल सुप्रियो की वजह से खाली हुई है। फिल्म एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा को अचानक टीएमसी का प्रत्याशी बनाना ममता बनर्जी का साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों को भी जोड़ कर देखा जा रहा है। अगर सिन्हा यह उपचुनाव टीएमसी से जीतते हैं तो वह लोकसभा में दीदी की बात को और तेजी से बुलंद रख सकेंगे। बता दें कि बंगाल में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद ममता और भाजपा के बीच मनमुटाव बना हुआ है।
यूपी विधानसभा चुनाव में भी ममता बनर्जी ने समाजवादी पार्टी के समर्थन में दो चुनावी जनसभाएं की थी। हालांकि ममता बनर्जी का समर्थन अखिलेश यादव को कोई खास फायदा नहीं करा सका। सपा फिर यूपी की सत्ता में नहीं आ सकी। भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार वापसी की है।
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